जिसे कानूनी भाषा में लोक सेवक द्वारा किये जाने वाले आपराधिक न्यास भंग के अपराध की संज्ञा दी गयी है।
2.
एक स्थानीय जिला अदालत ने एक समय देश के सबसे शक्तिशाली उद्योगपतियों में शुमार रहे ली को न्यास भंग के आरोप से बरी कर दिया।
3.
उनमें से किसी द्वारा इस सदाचार के पथ से कोई भी भटकाव न्यास भंग बन जाता है और दरी के नीचे दबाये जाने की बजाय इस पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
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उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 409 के अधीन आपराधिक न्यास भंग के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5 (2) के साथ-साथ 5 (1) सी दोषी बनाती है।
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इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा बिना पूर्व सूचना के प्रार्थी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप समाप्त कर तथा एक लाख रूपये उनके खाते में जमा होने के बाबजूद भी रिचार्जकूपन न देकर न्यास भंग किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमनाथ पुरी बनाम राजस्थान राज्य (1972 एआईआर एस सी 1490) में कहा है कि भा 0 द 0 सं 0 की धारा 405 प्रथम घटक के रूप में किसी भी प्रकार सम्पति का सौंपना या अखतियार प्रदान करना आपराधिक न्यास भंग के लिए आवश्यक बनाती है।
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बीकानेर. न्यायालय सिविल न्यायाधीश (कखं) एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सतीशचंद गोदारा की अदालत ने आपराधिक न्यास भंग के करीब 22 साल पुराने मामले का निस्तारण करते हुए 70 रुपए सरकारी राशि के गबन के आरोपी कंडेक्टर जोधपुर निवासी किशनाराम बिश्नोई को दोषी मानते हुए दो वर्ष के कारावास सहित एक हजार रुपए अर्थदंड से दंडित कर दिया।
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क्या आरोपी ने दिनॉंक-14 / 11/03 और उसके पूर्व जवाहर लाल नेहरू अस्पताल भोपाल में कम्पाउण्डर के पद पर नियोजित होकर लोक सेवक रहते हुए लोक सेवक के नाते नियमित पदीय कर्तव्य के अनुक्रम में अस्पताल में मरीजों को वितरण करने हेतु उसे प्रदत्त की गई दवाईयॉं न्यस्त की गई और इस प्रकार लोक सेवक होते हुए उसके द्वारा आपराधिक न्यास भंग किया?
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अभियुक्त / अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने दौरान बहस यह भी तर्क दिया कि अभियुक्त/अपीलार्थी कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है और धारा-409भा0दं0सं0 के अपराध के लिए यह आवश्यक है कि वह लोक-सेवक होना चाहिए तथा उसे कोई प्रोपर्टी क्रय-विक्रय हेतु दी गई हो और इस प्रकार से दी गई संपित्त का उसके द्वारा न्यास भंग किया गया हो तथा बेइमानीपूर्ण आशय से अपने व्यक्तिगत उपभोग में लाया हो।
10.
दोनों अभियुक्तगण ने धारा-313दं0प्र0सं0 में स्वयं का मजदूर होना बताया है, इसलिए या तो दोनों अभियुक्तगण पॉवर ग्रिड के कर्मचारियों से यह जानते हुए कि यह तार कर्मचारियों ने आपराधिक न्यास भंग करते हुए अपने कब्जे में रखे हुए हैं, सस्ते दाम में उनसे प्राप्त करके कबाड़ी को ऊंचे दाम में बेचने के लिए लाये थे या पॉवर ग्रिड में लेबरी का काम करते हुए स्वयं इन तारों को विभाग को सौंपने की बजाय स्वयं बाजार में लाकर न्यास भंग कर संपत्ति का दुर्विनियोजन किया।